चक्षु दान
चक्षु दान
अंधकार से भरा जीवन कैसा होता है,
उस इंसान से पूछो जो देख नहीं सकता,
स्पर्श क्या होता है,उन हाथों से पूछो,
जो बिन आँखों के महसूस उसे करता है।
है यही गुज़ारिश रौशनीवालों से,
जब इस दुनिया से प्रस्थान करें,
तब आँखों को अपनी दान करें,
और एक पुण्य का काम करें।
नहीं रहोगे ज़िंदा जब इस जहाँ में,
आँखें तुम्हारी जीवित रह जायेंगी,
किसी के दुखियारे जीवन में,
फिर ख़ुशियों का प्रवाह भर जायेंगी।
रौशनी भर किसी के अंधियारे में,
अपनी मौत को गौरव प्रदान करें,
दुआएँ लेने का सौभाग्य प्राप्त करें,
एक महादान करें, नेत्र दान करें।