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Ratna Pandey

Inspirational

4.3  

Ratna Pandey

Inspirational

मैं एक नारी हूँ।

मैं एक नारी हूँ।

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चाह नहीं यह मेरी कि मैं, देवी के जैसी पूजी जाऊं,

चाह नहीं यह मेरी कि मैं, सोने चाँदी से लादी जाऊं,


भ्रूण बन कर जब मैं, अपनी माँ के गर्भ में आ जाऊं,

विकसित होकर माँ की कोख़ से, जन्म मैं ले पाऊं,


प्रगति की ऊँची सीढ़ियों पर, चढ़ने का अवसर पाऊं,

मुझमें निहित क्षमताओं को, हासिल करके दिखलाऊं,


बहु नहीं मैं बेटी बनकर, अपने कर्तव्य निभाती जाऊं,

पराया धन नहीं मैं, दोनों परिवारों की बेटी कहलाऊं,


अधीन ना रहूँ, अपने पैरों पर ख़ुद ही खड़ी हो जाऊं,

सम्मान करूं प

ति का, उनसे ख़ुद भी सम्मान ही पाऊं,


रूढ़िवादी बंधनों से थक गई, उनसे मुक्ति मैं पा जाऊं,

काटकर बेड़ियां, पुरुष के कदम से कदम मिला पाऊं,


रहकर समाज के दायरे में, हर संस्कार संजोती जाऊं,

रोके ना कोई, पंख लगा गगन में स्वच्छंद उड़ती जाऊं,


नारी हूँ मैं, अपनी चाहतों को हकीकत में ढालती जाऊं,

पुरुष प्रधान समाज से, काश इस शब्द को हटा मैं पाऊं,


स्त्री-पुरुष के अधिकारों के संगम से, नया शब्द बना पाऊं,

और अधिकारों के सुंदर समन्वय से, सुदृढ़ समाज बना पाऊं।



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