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Ratna Pandey

Inspirational

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Ratna Pandey

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अपनी पहचान

अपनी पहचान

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तालियाँ बजाने वाले दर्शक भी, बड़े ही प्रतिभा वान होते हैं, 

गुणों की खान लिए हुए, स्वयं के हुनर से वह अंजान होते हैं, 


देने वाले के घर कभी, कमी नहीं होती कला के खज़ाने की, 

बाँटता है दिल खोलकर, किंतु चुनौती होती है ढूँढ पाने की, 


पसीना बहाना और जमी हुई हड्डियों को पिघलाना पड़ता है, 

तपाकर स्वयं को मेहनत की भट्टी में, फिर जलाना पड़ता है, 


फ़िर भी कुछ अंश भाग्य का उसमें, अवश्य ही साथ होता है, 

वह भी साथ दे जाए गर, तो पत्थर भी हीरे में तब्दील होता है, 


शिकायत नहीं करना कभी प्रभु ने हमें कोई कला नहीं बख़्शी, 

मज़दूरों ने ही तो बनाई है, ताज महल पर अलौकिक नक्काशी, 


ज़रूरत है जी जान लगाकर, उस कला के अंदर खो जाने की, 

और गहराइयों में जाकर, सीप में से मोती निकालकर लाने की, 

 

तब जाकर मेहनत और तपस्या, जीवन में अवश्य रंग लाती है, 

और तब दुनिया में अलग ही, अपनी नई पहचान बन पाती है। 


 

 


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