१२ वीं कक्षा
१२ वीं कक्षा
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि
बारहवीं की ट्यूशन लग गई,
सुबह ५ बजे से लेकर रात
१० बजे तक ड्यूटी जैसी लग गई,
बोझ इतना सह नहीं पाते बच्चे,
तनाव इतना झेल नहीं पाते बच्चे,
पता नहीं पढ़ते पढ़ते कब
आँख उसकी लग गई,
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि
बारहवीं की ट्यूशन लग गई।
भागमभाग सुबह से शाम
मिलता नहीं ज़रा आराम,
ऊपर से उम्मीदों का खतरा,
अगली कक्षा के प्रवेश का खतरा,
क्या होगा परिणाम हमारा,
सोचता रहता वो बेचारा,
इसी तनाव में आँख उसकी लग गई,
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि
बारहवीं की ट्यूशन लग गई।
पढ़ते पढ़ते वह थक जाते,
थोड़ी देर टीवी देखने आते,
पीछे से फिर माँ
चिल्लाती,
चलो कनेक्शन हैं कटवा देते,
जबरन पढ़ने बैठा देते,
नींद ना पूरी होने से,
आँख उसकी लग गई,
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि
बारहवीं की ट्यूशन लग गई।
माता पिता से विनती है,
मत डालो दवाब इतना कि
वह सह न पायें,
मत बांधो उम्मीद इतनी
कि पूरी कर ना पायें,
एक एक नम्बर की ख़ातिर,
जीना उनका दूभर न करो,
कहीं वह थक न जायें,
देखना कहीं भटक न जायें,
चिराग हैं हमारे घर के,
प्रकाशवान होने दो उन्हें,
देखना कहीं वह बुझ ही ना जायें,
बुझ गये जो दीपक,
अंधेरा हो जायेगा,
अश्रु रूपी तेल
चाहे जितना भी डालेंगे,
फिर कभी वह रोशन हो ना पायेंगे।