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मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ

मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ

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गिरते-गिरते मैं उठना,

सीख रहा हूँ,

मरते-मरते मैं जीना,

सीख रहा हूँ,

वो कहते है मुझको 'पगला',

मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ।

 

अंगारो में जाकर रेंगना,

सीख रहा हूँ,

बेमतलब के शब्द बाण फेंकना,

सीख रहा हूँ,

वो कहते अब 'वक़्त' कहाँ है,

मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ।

 

बिन सूरज अब देखो जलना,

सीख रहा हूँ,

सपनों की गोद में पलना,

सीख रहा हूँ,

रास्ते धुंधले से दिखे है मुझको,

मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ।

 

लाचारी की दीवार चढ़ना,

सीख रहा हूँ,

अपनो का अट्टाहस पढ़ना,

सीख रहा हूँ,

क्षितिज की आस दिल में बाँधे,

मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ।

 

खुद की ही आँखों में उगना,

सीख रहा हूँ,

मजबूरी के समक्ष न झुकना,

सीख रहा हूँ,

किसको आस मंज़िल से है अब,

मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ।   


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