देश अपनी ज़िम्मेदारी है
देश अपनी ज़िम्मेदारी है
अब खून से अपने लिखना है,
इतिहास बदलना है मुझको,
चाहे आए लाखो तूफ़ा,
मेरा देश बदलना है मुझको,
जहाँ गद्दारो को मिले सज़ा,
जहाँ हर जन का सम्मान हो,
जहाँ भेदभाव का नाम नही,
जहाँ दिल में सबके मान हो,
खाकी की इज़्ज़त हर मन में,
ना देश में कोई कोहराम हो,
चाहे कोशिश कोई लाख करे,
पर टूटा ना कोई आम हो,
हो विद्या का जादू ऐसा,
जाती का ना कोई जाल हो,
सब रहे बस यू मिल-झुल कर,
सब एक दूजे की ढाल हो,
इंसान को इंसान कहे,
जहाँ डर का ना कोई वास हो,
आगे ही आगे बढ़े सभी,
एहसासो का आभास हो,
नर-नारी का कोई भेद नही,
सबकी आज़ादी ज़रूरी हो,
जहाँ चाहे दूर रहे हम सब,
पर दिल से ना कोई दूरी हो,
जहाँ श्रद्धा में कोई रोक ना हो,
आज़ादी सबके मन में हो,
चाहे कितनी महँगाई हो,
एक कपड़ा सबके तन में हो,
बस इतनी ही आज़ादी हो,
कि तन में रहना श्राप ना हो,
बस इतनी सी विनती मेरी,
किसी भी घर में साँप ना हो
एक दिन होगा आज़ाद भारत
तब तक कोशिश भी जारी है,
लगता है मुझको हर पल,
देश अपनी ज़िम्मेदारी है।