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Chakravarti S Kumar

Inspirational

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Chakravarti S Kumar

Inspirational

मैं कौन हूं ?

मैं कौन हूं ?

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मैं चलता हूं, फिर रुक जाता हूं

फिर! एक गहरी सोच में,

यूं ही पड़ जाता हूं।


कुछ कहता हूं, खुद से

और ख़ुद ही, समझता हूं ,

क्या मैं पागल हूं ?


क्या मैं पागल हूं ! इस जहां में

या ! इस पागलपन में कुछ राज़ हैं ?


मैं राज़ हूं ? या राग हूं ? मैं कौन हूं, 

शायद! ये मुझे ख़ुद भी नहीं पता ।।


मुझे क्या पता कि मैं कौन हूं ?

मैं शीशों के टूटे हुए टुकड़ों में हूं


मैं अर्धरात्रि का एक प्रतिबिंब हूं

मैं टुकड़ों में ख़ुद को ढूँढता एक

छवि हूं।।


मैं थका हुआ, लाचार हूं

मिट्टी की खुशबू में लीन हूं

मैं माँ के चरणों की धूल हूं ।।।


माँ मेरी रूठी नहीं कभी मुझसे

मैं रूठा हुआ बेकार हूं,

कभी सोचता मैं बेकार हूं

पर हिम्मत से मैं असरदार हूं।


पर एक दिन भी ऐसा आया

जब मैं हारा हुआ लाचार था,

किस्मत का मारा बेकार था

तब हिम्मत ही मेरा साथी था।।।

मैं कौन हूँ ?


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