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Shahid Kazi

Drama

4  

Shahid Kazi

Drama

एक अलग दोस्ती

एक अलग दोस्ती

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मुश्किल है ज़िंदगी

काम है मुक़म्मल सहारे 

तुमसे न मिलते कहीं

ढूंढे कई मोड़ किनारे ॥


मुलाक़ातें ना होती तो क्या 

ख़यालों में घर है हमारे 

भूलेंगे कैसे तुम्हें हम 

साथ की जो आदत है तुम्हारे ॥


आँखों में लेकर कुछ छिपे अरमान 

लबों पे लिपटी वो मीठी मुस्कान 

सादगी में है एक अलग सी कशिश 

शर्मा के जो है दो ना मांगेंगे जहान ॥


कैसे समझेंगे लोग क्या रिश्ता हमारा

ना दिखता ये वहां जहाँ मुआशरों का दायरा 

ना ज़माने की सोच ये कोशिश फ़िज़ूल 

जो नाता हमारा ना होगा इन्हें ये क़ुबूल ॥


यादें है ऐसी मुस्कुराहटें जो बाटें

ना होती मुशायरों में होती तुमसे जितनी बातें

ना गिला का डर ना शिकवा तुम जताते 

तभी तो कर पाते दिल की छोटी बड़ी हर बातें ॥


मुलाक़ातें न होती तो क्या 

ख़यालों में घर है हमारे 

भूलेंगे कैसे तुम्हें हम 

साथ की जो आदत है तुम्हारे ॥


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