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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

"मां-बाप सेवा"

"मां-बाप सेवा"

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जो करते नहीं, अपने मां-बाप की सेवा

वो तीर्थ जाये या, जाये कोई स्थान देवा

उनको मिल नहीं सकता शांति का मेवा

जिन्होंने, उन्हें दिया न, कभी कोई कलेवा


वो मनुष्य वैसे है, जैसे हो, कोई स्त्री बेवा

जिसने की नही अपने मां-बाप की सेवा

उससे बड़ा अभागा नही, जग में कोई देवा

माता-पिता, में तो समाया हुआ है, हर देवा


जिन्होंने अपने मां-बाप को वृदाश्रम भेजा

उन्हें स्वयं ही मिला, वृदाश्रम का शूल टेवा

गर चाहिए तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी करे सेवा

तुम करो, प्रथम अपने माँ-बाप की सेवा


मातृशक्ति से भी करबद्ध, निवेदन है, मेरा

वो करती रहे, अपने सास-ससुर की सेवा

उन्हें उनके मां-बाप की सेवा का मिले, मेवा

जैसा बोओगे वैसा ही फल पाओगे रे देवा


माता-पिता इस जगत के है, जीवित देवा

जो संतानों को मानते, कालजा-कलेवा

वही बनते है, इस जगत कीचड़ में केवा

जो करते है, नित ही मां-बाप की सेवा



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