जीवन का रथ
जीवन का रथ
यह जीवन का रथ तो है, एक अजीब सी सवारी।
कभी काबू में न आये, कितनी करो इस से यारी।
कभी हमें हवा में उड़ा देगा, कभी चले पगडंडी पर।
कभी उल्टी चाल चले, कभी पहिये हो जायें ऊपर।
कभी बहुत सारे दुखों का पहाड़ हमारे सिर कर दे।
कभी छोटे से सफ़र में ही ढेरों खुशियां भर कर दे।
कभी कोई पुराना बिछड़ा हुआ रिश्ता हमसे मिला दे।
कभी किसी अपने बहुत करीबी से भी दूरी दिला दे।
कभी इसमें बंधे घोड़े हमें बार बार झटके मरवा दें।
कभी यह पूरी शान से जीवन का सफ़र करवा दें।
यह जीवन का रथ तो चलता जाये अपनी ही डगर।
क्यों सोचते हैं हम, कि इसे मोड़ लेंगे इधर से उधर।
यह जीवन का रथ तो है, एक अजीब सी सवारी।
कभी काबू में न आये, कितनी करो इस से यारी।