आज़ादी
आज़ादी
मिलेगी जाने कब ऐसी आज़ादी
करें वही बस जो दिल कहे ॥
फंसते चले जाते दिन प्रति दिन
जीने वैसे चाहे दुनिया जैसे ॥
राह जो सीधी नज़र आती
कभी ना उस पे मंज़िल मिल पाती ॥
चलते चले जाते ज़िन्दगी भर
कभी इस ओर कभी उस डगर ॥
मोड़ है आते इस ज़िन्दगी में हज़ार
राह अपनी पलटनी बस एक ही बार ॥
देखते कहा ले जायेगी ये हवाएँ
चाहे ओढ़ा दे जीत या मिले दर्द की बाहें ॥
ख़ुशी से तब जी तो पाएंगे
जहां भी जाएँ हंसती सूरत दिखाएंगे ॥
मंज़िल ना मिले ना मिले दौलत शुमार
रंजिश तो ना होगी ना सुनी दिल की पुकार ॥