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Phool Singh

Drama Others

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Phool Singh

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नवदुर्गा

नवदुर्गा

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घर गिरिराज के जन्मी कन्या

शैलपुत्री कहलाती है

शिव-शंकर का ध्यान लगा, जप-तप का मार्ग अपनाती है||


शाक-पत्तियों का भोजन करती

जिसे त्याग बाद में देती है

निर्जल-निराहार व्रत है करती, माँ ब्रह्मचारिणी हो जाती है||


इहलोक परलोक को देती

चंद्रघंटा माँ चंद्रमा शीश सजाती है

अस्त्र-शस्त्रों से रहे विभूषित, शान असुर-दैत्य, दानव की धूल मिलाती है||


कूष्माण्डा बन ब्रह्मांड रचाया

अंधकार को दूर भगाती है

दशों दिशाओं को करे आलौकित, आदिशक्ति माँ एकरूपता समझाती है||


मूढ़ भी बन जाते है ज्ञानी

जब कृपा माँ बरसाती है

नवचेतना का निर्माण है करती, जब स्कन्द माता बन जाती है||


ब्रज मण्डल की अधिष्ठधात्री देवी

पीड़ा, दुःख-संताप मिटाती है

परम पद को देने वाली, माँ कात्यायनी रूप दिखाती है||


भयंकर रूप और बिखरे बाल है

भूत-पिशाच को दूर भगाती है

असुरों का संहार है करती, बन माँ कालरात्रि जब जाती है||


अभय मुद्रा धारण करती

गौर वर्ण हो जाती है

सदाशिव को प्रसन्न करती, माँ महागौरी उन्हें पति रूप में पाती है||


अष्ट सिद्धियों की स्वामिनी माता

दे अमोघ सिद्धियों से मान बढ़ाती है

धन-वैभव से झोलियाँ भरती, वही सिद्धिधात्री माँ कहलाती है||


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