जुनून ए आग
जुनून ए आग
जिनके विचारों में होती है, आग
खिलते है, वहां क्रांति फूल पराग
ज़माना रह जाता है, बस अवाक
जब कोई बोलता है, बात बेबाक
मुस्कुराकर झूमते है, वहीं बाग
जिनके विचार होते है, बेदाग
उनको क्या डसेंगे?, साखी नाग
जो खुद ही है, चंदन की जात
सत्य का अकेला हुआ, चराग
सर्व भीतर तम ने किया, सुराग
भोर को लील गई है, अब रात
रोशनियां भी दे रही है, तम साथ
सत्य रो रहा है, अकेला आज
पर उसके आंसू भी देंगे घात
सत्य वदन सबके बस की न बात
सत्य बोलने की वो रखता, औकात
जिसके भीतर जलती है, एक आग
जिसमे जलते है, सभी वीत राग
वो नित करता है, खुद से संवाद
सत्य होता है, एक ऐसा ख्वाब
जिसके लिये नींद चाहिए, बेदाग
वही खिलता है, शूलों बीच गुलाब
जिसकी सहनशीलता है, लाजवाब
कठिनाइयों से मर डर, तू आज
इनको दे, तू मुंहतोड़ जवाब, आज
फ़लक ऊंचाइयां छूएगा, आज बाज
जलाये रख, तू भीतर जुनून ए आग।