एक सवाल मैं आज सबसे पूछता हूं
एक सवाल मैं आज सबसे पूछता हूं
एक सवाल मैं आज सबसे पूछता हूं
निर्जनता के इस शोर से आज मैं हर तरफ गूंजता हूं
मोहब्बत कम थी या मेरी इबादत
विरह की वेदना से मैं ये सवाल आज सौ दफा पूछता हूं
चांदनी रातों में की गई वो सारी बातों से मैं पूछता हूं
मोहब्बत कम थी या मेरी इबादत
ये जख्म क्यूं हुए
ये होंठ नम क्यों हुए
ये सपने क्यों बिखरे
ये दर्द क्यों हुए
इसका जवाब में तुम सबसे पूछता हूं
अपने ख्वाबों के बंद ताबूतों में ढूंढता हूं
वो आज साथ नहीं है
अब सिर्फ मेरी यादों में ही है
मोहब्बत तो दोनों को थी
आंखें नम भी दोनों की ही थी
दिल दोनों का ही बिखरा था
तकलीफ हम दोनों की ही थी
इसका जवाब में तुम सबसे पूछता हूं
इश्क में भगवान बसते हैं
ये उम्मीद दिलाने वालों से में पूछता हूं
मोहब्बत कम थी या मेरी इबादत
एक सवाल मैं आज सबसे पूछता हूं।