तेरी तस्वीर
तेरी तस्वीर


वह सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी
मेरी खामोश निगाहों ने एक अधूरे ख्वाब को बुना था
विरह की वेदना में लिपटे हुए मेरे हाथों ने अपने मकाम को बुना था
आधी रात में जागते हुए मेरे सपनों ने अपने कल को देखा था
वह सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी
मोहब्बत के दायरे में बेबस मेरे आज ने अपने कल को चुना था
हालातों के इन फासले से तड़पते हुए मेरे यकीन ने अपने हकीम को देखा था
वह सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी
बंद दीवारों में गूंजती हुई वो एक आहट थी
मेरे मोहब्बत के रंगों की वो एक मूरत थी
तेरे लिए वह सिर्फ एक नामुनासिब तस्वीर थी
मगर मेरे लिए वह मेरे ख्वाहिशों की तकदीर थी