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Gaurav Dhaudiyal

Abstract

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Gaurav Dhaudiyal

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जीवन का आधार

जीवन का आधार

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नंदी ने पूछा शिव से

क्या मोह ही प्रेम का प्रमाण है

थी व्याकुलता उसे इस ज्ञान की

क्यों मनुष्य में दोनों एक समान है


शिव ने भक्त को सम्मान दिया

बंधन से मुक्ति तक का ज्ञान दिया

प्रेम भक्ति का आधार है

और मोह से भय का संचार है


प्रेम यदि हरी को समर्पण है 

तो मोह स्वार्थ परायण है

प्रेम में मनुष्य सुख पाता है

और मोह में विवेक मर जाता है


मोह साहिलों का नदी नहीं करती है

अंततः सागर से वह जा मिलती है

प्रेम नदी को मंज़िल तक ले आता है

अंश से उसे पूर्ण वो कर जाता है


शिव ने भस्म को धारण किया

नंदी को नश्वर संसार का प्रमाण दिया

मनुष्य नश्वरता से जब डरता है

तब स्वयं मोह से जा घिरता है

जब ब्रह्म ज्ञान वो पाता है

स्वयं शिव के करीब आ जाता है


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