कुछ नही दिख रहा
कुछ नही दिख रहा
आज ना आसमान में तारें दिख रहे
ना कहीं चांद दिख रहा
ना रोज बरसने वाली
बदलो का कहीं ठौर दिख रहा
शहर के गलियों जैसे
मन में शोर दिख रहा
अच्छी लगने वाली हर आवाज में
मुझे आज रोष दिख रहा
शांति की तलाश में
ना जाने क्यू मन भटक रहा
पर ना जाने क्यू मन को आज
ना शांति मिल रही न सुकून मिल रहा
देखकर लोगो को जो
चेहरे पर मुस्कान आती थी
आज उस खुशी का
ना ओर दिख रहा न छोर दिख रहा
दिल में आज खुशी की जगह
आशुओ में टीस दिख रहा
जो इतनी बड़बोली थी कभी
आज उसकी चुप्पी में शोर दिख रहा।
