Kavita Sharma

Abstract Inspirational

3  

Kavita Sharma

Abstract Inspirational

संवेदनशील

संवेदनशील

1 min
211


कितनी संवेदनशील हो तुम नारी

करुणा प्रेम से भरी हो सारी

सब पर प्रेम लुटाती हो निस्वार्थ

रखती सबका कितना ध्यान

परिवार को बांधे रखती

सेवा में हर पल तत्पर रहती

घर के प्राणी, पंछियों का भी

कितने ध्यान से, ध्यान रखती

सबको खाना -पानी समय पर देती

सबके दुख में दिन रात सेवा करती

नारी तुम कितनी कोमल हो

प्रेम भाव से परिपूर्ण हो 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract