संवेदनशील
संवेदनशील
कितनी संवेदनशील हो तुम नारी
करुणा प्रेम से भरी हो सारी
सब पर प्रेम लुटाती हो निस्वार्थ
रखती सबका कितना ध्यान
परिवार को बांधे रखती
सेवा में हर पल तत्पर रहती
घर के प्राणी, पंछियों का भी
कितने ध्यान से, ध्यान रखती
सबको खाना -पानी समय पर देती
सबके दुख में दिन रात सेवा करती
नारी तुम कितनी कोमल हो
प्रेम भाव से परिपूर्ण हो।