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Gaurav Dhaudiyal

Drama

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Gaurav Dhaudiyal

Drama

दोस्तों की याद

दोस्तों की याद

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वो शराब का नशा ही क्या जो

दोस्तों संग किया ना जाए

वो मुकम्मल जहां का नजारा ही क्या

जो दोस्तों संग जिया ना जाए


हर सफ़र में उनकी वो

हँसी याद आती है

मोबाइल के व्यस्त होने पर

उनकी दी बेशुमार गालियां

याद आती हैं


रात की गाड़ियों में की गई

वो सारी बातें याद आती हैं

इम्तहान से पहले मस्ती में

व्यर्थ की गई सारी रातें

याद आती हैं


अपनी ज़िन्दगी के

कुछ अलग ही उसूल थे 

दोस्त अगर कांटे भी दे तो

वो भी हमें कुबूल थे

जब सारे दोस्त अगर साथ हो तो

हर राह में हमारे फूल थे


अब बस कभी कभी

मुलाकातें हो जाती हैं

महीनों की बातें एक दिन

में ही की जाती हैं

मिलते ही न ज़ाने

कैसे ये शाम हो आती है


और फिर दोस्तो

तुम्हारी बहुत याद आती है

तुम्हारी बहुत याद आती है।


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