माँ
माँ
इंसान ही है जो भावनाओं से बंधा है
बंधन में बंधना उसे स्वीकार्य हुआ है
परिवार से उसकी खुशियां जुड़ी हैं
सबके संग ही प्रेम बाँटने में बरकत बड़ी है
माँ और संतान का रिश्ता है अनमोल
निस्वार्थ प्रेम का असीम है छोर
संतान की खुशियों पर बलिहारी है जाती
सोता उसे देखकर मंद मंद है मुस्कुराती
