नथ
नथ
नथ
*बरसे कबसे जाने ये बदरिया*
की मन मेरा झूमे जाए रे,
कहे बोले ये मयूरा की
आज रूत घिर आए रे
*सब पूछे काहे बोले ना गुजरिया*
की मोहे आज कुछ भाए नहीं रे,
आए नहीं मोरा आज सजना
की बरखा खो ना जाए रे
*गोरी मेरी हाथों की कलाई की*
काहे नहीं चूरी लाए रे,
तू देखे तीरे तीरे की आंख
काहे मोसे चुराए रे
*आज देखूं मैं ये शाम की अंधरिया*
की नथ किस ओर खोई रे,
आए रे ना जाने कब सवेरा
की सब मोहे छेड़े हाए रे
*तो से रूठी बैठी तेरी ये सजनिया*
की तू ना मनाने आए रे
–गोल्डी मिश्रा

