राहें उल्फ़त में
राहें उल्फ़त में
राहें उल्फ़त में, हम एक ही ख़ता कर बैठे,
हम उनसे कुछ, हद से ज्यादा वफ़ा कर बैठे,
इक उनके लिए, इस दुनिया से ही लड़ बैठे,
एक तूफ़ाँ जो आया, वो हमहिं से किनारा कर बैठे।
राहे उल्फ़त में…..
सुनते नही मेरी कुछ, बस खुद की ही कहते रहते हैं,
आज कल वो हमसे, सिर्फ हमसे ही खफा रहते हैं,
उनकी होंठों पे हँसी है, मेरी आँखों से अश्क बहते है,
कल कहते थे
हमदर्द, आज मुझको वो दर्द कहते हैं,
हमने तो दोस्ती की थी, वो ही अब दुश्मनी कर बैठे।
राहे उल्फ़त में…..
मेरे सपनों को, उनकी पलकों का एक परवाज़ मिला था,
मेरे शब्दों को, उनकी भावों का एक आवाज़ मिला था,
मेरी हसरतों को, उनकी मोहब्बत का आगाज़ मिला था,
मेरी मुश्किलों को, उनकी बाहों में आकर आराम मिला था,
हमने तो सूर सजाये थे, पर वो ही हर साज़ तोड़ बैठे,
राहे उल्फ़त में…..