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Dr. Priya Kanaujia

Drama Tragedy Classics

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Dr. Priya Kanaujia

Drama Tragedy Classics

उलझन

उलझन

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दिल सोचने पर मजबूर हो चला है ये बात

क्या हूं मैं मांगी दुआ या अनसुनी फ़रियाद 


क्यों कोई मायने नहीं रखते मेरे ही जज़्बात

क्यों किसी के जहन में होती नहीं है मेरी याद


क्यों लाड़ली नहीं मैं तेरी दिल करता सवालात

 मैं तो सच में बन गई तेरी बिन मांगी मुराद।


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