वहम
वहम


रात को उसके आंसू तकिए भिगोते और सुबह में उसकी मुस्कान फिज़ा में बिखर जाती,
कोई नहीं जानता उसका छुपा हुआ दर्द और सबकी
उदासी उसकी लहर में छूमंतर हो जाती,
कभी किसी ने उसका हाल नहीं जाना और वो सबको
अपनी ही बारिश में भिगा कर ले जाती।
रात को उसके आंसू तकिए भिगोते और सुबह में उसकी मुस्कान फिज़ा में बिखर जाती,
कोई नहीं जानता उसका छुपा हुआ दर्द और सबकी
उदासी उसकी लहर में छूमंतर हो जाती,
कभी किसी ने उसका हाल नहीं जाना और वो सबको
अपनी ही बारिश में भिगा कर ले जाती।