दस्तक
दस्तक
यह तन्हाई का बेबस आलम
दे रहा आज सुकून मुझे
ना खोने का डर जालिम
ना पाने का जुनून तुझे
मिट रहीं पुरानी यादे सभी
बसी थी जिनमें मेरी जान
ज़ख्म गहरे रह गए बाकी
ख़्वाबों का लूट गया जहान
सपनों की लड़ियाँ जो टूटी
झूठ का हुआ है पर्दाफ़ाश
यादों में उसके रातें कटी
सुकून की अब मुझे तलाश
कैसे बिसरू घड़ियाँ जो बीती
चुभती अब यादों की पुस्तक
कोई बात ना असर करती
ना होगी दिल पर दस्तक।

