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Pratibha Bilgi

Romance

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Pratibha Bilgi

Romance

क्या करूँ ?

क्या करूँ ?

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किससे करू गिला

शिकायत किससे करें

अपने रूठ गए

जमाने का क्या करूँ ?


महकते थे दिन

बहकती थी रातें

साथ था उसका

जुदाई का क्या करूँ ?


लम्हें वह मीठे

कुछ खट्टे , कुछ कड़वे

संजोकर रखें

सपनों का क्या करूँ ?


समझ ना पाएं

जाना ना उसने

मजबूरियाँ मेरी

हालातों का क्या करूँ ?


साथ जियेंगे दोनों

वादा करके तोड़ गये

ना सोचा क्या होगा

तनहाई का क्या करूँ ?


बातें चुभनेवाली

उतर गयीं पार दिल के

टूट गयीं उम्मीदें जो

जजबातों का क्या करूँ ?


फँस गयीं हूँ

रिश्तों के जाल में

निकलना चाहूँ इससे

बेकरारी का क्या करूँ ?


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