क्या करूँ ?
क्या करूँ ?
किससे करू गिला
शिकायत किससे करें
अपने रूठ गए
जमाने का क्या करूँ ?
महकते थे दिन
बहकती थी रातें
साथ था उसका
जुदाई का क्या करूँ ?
लम्हें वह मीठे
कुछ खट्टे , कुछ कड़वे
संजोकर रखें
सपनों का क्या करूँ ?
समझ ना पाएं
जाना ना उसने
मजबूरियाँ मेरी
हालातों का क्या करूँ ?
साथ जियेंगे दोनों
वादा करके तोड़ गये
ना सोचा क्या होगा
तनहाई का क्या करूँ ?
बातें चुभनेवाली
उतर गयीं पार दिल के
टूट गयीं उम्मीदें जो
जजबातों का क्या करूँ ?
फँस गयीं हूँ
रिश्तों के जाल में
निकलना चाहूँ इससे
बेकरारी का क्या करूँ ?

