अनाम
अनाम
मैं आपे में नहीं अब अपने , कि बात बात सब पी जाऊं
मैं जख्म नहीं सह सकती अब , तुम्हारे घाव कैसे सी जाऊं।
बेदर्द सी इन जंजीरों में बंधी, अबला सी अब मैं रह जाऊं।
बिन बोले कुछ अपने नयनों से , सारी पीड़ा तुम्हें कह जाऊं।
काली काली इस तिमिर में , ना जाने मैं क्यों घबराऊं
अखियां तरसी दीद की, बह बह नीर सी मैं जाऊं।
देख पिया मोरे को सामन, शर्म शर्म सी मैं सरमाऊं।
प्रेम के धागे बांध के, पिया दूर मोसे जाए
देख दूर नज़रों से उसे, कलेजा मेरा फटा जाए।।
प्रियसी मैं उसके एक दर्शन की, तक तक राह तकी जाऊं ।
क्या बीत रहे मेरे दिल पर, हाल ए दिल किसे सुनाऊं।
रात सी मैं बन बैठी,नयना बन गए सितारे मोरे।
अश्रु से भर डालूं, देख पिया को काज सफ़ेद ये कोरे

