पुरुष
पुरुष
एक आदमी हमेशा से मजबूत रहा है ।
चाहे वो परिवार के मामले में हो , या फिर अपनी ख्वाहिशों के मामले में हो।
कभी कभी मैं समझ नहीं पाती कि ये इतने अलग क्यों होते हैं ?
इनके लिए कोई भी भावना उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती जितना कि एक स्त्री के लिए होती है ।
क्यों ये ख़ुद के सपने ख़तम कर लग जाते हैं जिम्मेदारियों में।
ख़ुद पर खर्च न करके अपने साथ के लोगों पर लुटा देते हैं सारी संपत्तियों को।
इनके लिए जो जरूरी होती है वो होती है सिर्फ़ इनकी "मां"
उनके अलावा इन्होंने कभी अपनी प्रेमिका को , अपनी पत्नी को वो स्थान ही नहीं दिया या फिर
आजकल की स्त्रियां कभी इनके प्रेम को समझ ही नहीं पाई।।
