एक तरफा प्यार
एक तरफा प्यार


गलतियाँ चाहें जिसकी भी हो..
पर हमने हमेशा ही उन्हें मनाया है, क्यूंकि प्यार हमने किया है तो हमें ही निभाना भी है.....
प्यार कभी अमृत तो अक्सर ही ज़हर भी है, जिसे हँसते हुए रोते हुए पीते जाना है...
हैरान हैं इस बात से कि हम तो एक पल भी बात किये बिन रह नहीं पाते...
पर ख़ुशी भी है कि अब दूर भी चली जाऊँ तो वो रह लेंगे हमसे दूर...
मेरे दिन कि शुरुआत उनसे ही हुयी हैं और रातें भी....
कभी रातों मे उनके पास होने के लिये रोकर सोना या फिर उनकी एक आवाज सुनकर गुड नाईट हो के सपनो मे ही रात गुज़ारना....
सच मे
प्यार दो तरफा नहीं होता
प्यार मे छोटी छोटी बातें अगर किसी को हर्ट करने लगे या बात ईगो पे आ जाये तो कैसा प्यार...
प्यार मे तो लोग अगले कि की हुइ गलतियों को भी स्वतः सुधारकर बाद मे कभी प्यार से समझाया करते हैं न की बहस किया करते हैं...
हमसे तो वो बड़े निकले,, अफ़सोस की बस तन और दिमाग़ से ही बड़े निकले
हम छोटे जरूर पर दिल से बड़े निकल गए
शायद मुझे खो देने के बाद मेरी एहमियत समझ आ जाये...
पास रहने पर कोई फ़िक्र नहीं करता..
पास रहकर भी दूर रहने से अच्छा है
कि..
पास ही क्यों आयें।