हकीकत नहीं सपना हो तुम
हकीकत नहीं सपना हो तुम


दूर हो तुम....
या पास हैं हम!?
ये रिश्ते क्यों है, इतने उलझे न जाने क्यूँ
बेशक हम सच जानते हैं, की नहीं हो तुम हमारे लिए,
फिर भी आवाज़ सुन, साँसे तेज़ हो जाती हैं....
दिल धड़कता है तुम्हारे लिए,
जीने के लिए जरूरी हो तुम
न जाने क्यों??
पाया भी नहीं तुम्हें पर भी...
खोने का डर...
न जाने क्यूँ.....