रंग लाया ऑफिस वाला प्यार
रंग लाया ऑफिस वाला प्यार
यह बात थोड़ी पुरानी है।
हुआ कुछ यूं ऑफिस में एक सन्नारी ने रखा कदम।
सब ऑफिस के कर्मचारी हो गए बहुत खुश और बेदम।
सब सोच रहे थे अरे हमारे ऑफिस में यह सन्नारी।
अब तो हमको भी रखनी पड़ेगी अपनी शक्ल सूरत और पहनावे की चौकसी।
आने लगे दूसरे दिन से सब एक से एक अच्छे दिखने वाले हैंडसम से मुंडे।
हर कोई करने लगा उस नारी को इंप्रेस।
मगर उसे तो किसी से कोई फर्क ही नहीं था तो वह क्यों हो किसी से इंप्रेस।
थोड़े दिन बाद एक लड़के ने रखा ऑफिस में कदम।
मिली उन सन्नारी की नजर उस लड़के से।
दोनों की नजरों में बहुत प्यार था।
कारण वे पह
ले से ही एक दूसरे से करते थे प्यार और यह पुराना प्यार था।
नौकरी ना मिलने के कारण वे आगे नहीं बढ़े थे।
आज दोनों को एक ही ऑफिस में मिल गई नौकरी
दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा।
दूसरे लोगों के दिल में यह खटक ने लगा।
तभी एक दिन उसने अपनी शादी का कार्ड दे दिया सबको और बोला।
भाई साहब आप मेरी शादी में जरूर आना।
इस तरह उसने सब का पत्ता कट करके
अपने प्रेमी संग ब्याह रचाया।
एक कहानी जो उसके घर से शुरू हुई थी यहां।
ऑफिस में आकर खत्म हुई और ऑफिस वाला प्यार रंग लाया।
जीवन संग संग बिताया
जिंदगी में बहुत आनंद पाया