चल दिए हम राह में।
चल दिए हम राह में।
चल दिए हम राह में गिरने संभलने के लिए।
आंख में सपने सजाए रात में लेकर दिए।
यूं तो गिरना संभालना रही है फितरत मेरी।
संभलने में दर्द था जब धोखे अपनों ने दिए।
किसे अपना मान लें किस पर भरोसा हम करें।
अपने गैरों से लगे हैं कुछ गैर अपने हो लिए ।
वो फूल पूजा के लिए मैंने अंजलि में भर लिए ।
देवता रूठे ,हम खड़े थे, अश्क आंखों में लिए।
अभिशप्त आवारा बदलियां आसमां में भटकती।
कोन सा आंगन भिगोएं और जिएं किसके लिए।
तुम मुझे अपना बना लो गलतियां सब भूल कर।
मैं बहारें बन के उतरूं सनम तेरे मधुबन के लिए।