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Dhirendra Panchal

Abstract

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Dhirendra Panchal

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उम्र गुजर जाने के बाद

उम्र गुजर जाने के बाद

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इतना तो मैं जान गया हूँ।

थोड़ा तो पहचान गया हूँ।

सब कुछ मेरे हाथ लगेगा,

उम्र गुजर जाने के बाद।


बिन रहा हूँ तिनका तिनका।

छीन रहा हूँ अपने हक का।

अंतर्मन चिंघाड़ेगा तब,

उम्र गुजर जाने के बाद।


आँखों पर तब चश्में होंगे।

सब अपने तब सपने होंगे।

ड्योढ़ी पर दिन-रात कटेगी,

उम्र गुजर जाने के बाद।


कुछ अपने धिक्कारेंगे।

पर कुछ तो गले लगाएंगे।

सबका मैं सम्मान करूँगा,

उम्र गुजर जाने के बाद।


सावन क्या मधुमास ना होगा।

बेटा शायद पास ना होगा।

बिन पानी की आँखें होंगीं,

उम्र गुजर जाने के बाद।


दरवाजे से सब निकलेंगे।

घर को मंदिर वो बोलेंगे।

कोई न मुझसे बात करेगा,

उम्र गुजर जाने के बाद।


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