तेरी अनुकम्पा से
तेरी अनुकम्पा से
' जय माॅं दुर्गे '
तेरी अनुकम्पा से
बनी रहे , सुख-शांति ,
पूरी सृष्टि में .....
यही ही कामना है मेरी ,
इस नवरात्रि में ....
तेरी अनुकम्पा से .
गरीबों की झोली भरी रहे
सो सकें ,वे सुकून से ,
चिंता न हो, उन्हें कल की ।
अमीर अपनी आडम्बरो
से परे रहें ....
तेरी अनुकम्पा से .....
समाज में अपने हर मनुष्य
एक समान हो ....
अमीरी - गरीबी का न
भेद - भाव हो .....
मिलाए जो हाथ एक दूसरे से
उनमें आपसी प्रेम प्रगाढ़ हो,
तेरी अनुकम्पा से .....
नवरात्रि के नवरंगो की
फुहार से .....
हर किसी के जीवन
हरा-भरा रहे .....
सुख - दुख दोनों ही राह पर,
साथी , हर कोई एक - दूसरे
का बना रहे ....
तेरी अनुकम्पा से .....
अनबोलते जीवों की भी हो
सुनवाई इस नवरात्रि में ...
उनके बीच भी हो आपके
प्रसादों का वितरण ...
खूब हो मनुष्य और पशु-पक्षियों
के बीच मित्रता गहरी ।
तेरी अनुकम्पा से ....
नवरंगो से परिपूर्ण यह वर्ष हो,
दुख-दर्द का नामोनिशान न हो ,
ममता , क्षमा , दया और प्रेम से
सारा देश सराबोर हो ।
खुशी के सागर में डुबा यह
संसार हो ।
' वसुधैव कुटुंबकम् ' से ओत-प्रोत
हमारा प्यारा सा 'हिन्दुस्तान' हो ...
तेरी अनुकम्पा से .......