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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Abstract

4.5  

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

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नमन तुमको है शिक्षक

नमन तुमको है शिक्षक

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नमन तुमको है शिक्षक

नमन तुमको है शिक्षक

करते युग निर्माण तुम

कलियों को पुष्प में


परिवर्तित करना तेरी नियति है

सोतों को जगाता है तू

नमन तुमको है शिक्षक

बनकर प्रकाश खिलता है


अंधेरों में तू

करता रोशन तू सबका जीवन

बन दीपक जलता है तू

नमन तुमको है शिक्षक

स्वयं के दीये तले

अँधेरे की परवाह न कर

दूसरों के जीवन में


उजाला भरता है तू

गिरतों को संभालना

तेरी हो गयी है आदत

पतझड़ को सावन बनाता है तू

नमन तुमको है शिक्षक

जलता सूरज की तरह तू

अँधेरे को उजियारे में

बदलता है तू

दिखाता राह औरों को तू

करता अपना सब कुछ समर्पित तू


नमन तुमको है शिक्षक

पढ़ाटा सदाचार,

ईमानदारी का पाठ तू

भटकों को दिखाता राह

भाग्य निर्माता कहलाता तू


देश प्रेम की राह दिखाता

जीवन मर्यादा सिखलाता तू

खिलते पुष्प धरा पर जब

दिग्दर्शक कहलाता तू

नमन तुमको है शिक्षक


मातृभूमि को तू है प्यारा

समाज को गति देने वाला

खिलता तुझसे सबका जीवन

पुण्यमूर्ति कहलाता तू

नमन तुमको है शिक्षक

नमन तुमको है शिक्षक

नमन तुमको है शिक्षक।


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