मन की बातें दिल क्यों सुनता
मन की बातें दिल क्यों सुनता
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
मन की बातें, दिल क्यों सुनता मन की बातें,
दिल क्यों सुनता चल मन बूझें,
एक पहेली मन का सम्मोहन,
क्यों पूरे तन मन की दुनिया अजब निराली
मन के आँगन में तुम उतरो महक उठे मन
आँगन – आँगन मन का देह से रिश्ता कैसा
यह तो है स्वच्छंद विचरता
मन के भीतर झाँक के देखो
मन के अंतर्मन को पहचानो
मन के मौन में प्रश्न बहुत हैं
इन प्रश्नों से नाता जोड़ो
मन को कौन करे संचालित
क्या यह है ईश्वर पर आश्रित
मन हिंसक प्रतियोगी क्यों है
अहं
कार भाव में उलझा
मेरा मन तुम्हारे मन से अलग
क्यों मन के ईश्वर अलग – अलग
क्यों मन की तृष्णा मन ही जाने
तन को ये बस साधन जाने
मन तेरा क्यों डोल रहा है
तन से कुछ ये बोल रहा है
पावन मन की सुन्दर बातें
तन की सुन्दरता की पोषक
मन की चेतना, देह चेतना
मन फिर इतना चंचल क्यों है
मन का धैर्य, मन की मर्यादा
स्वच्छ जीवन की अभिलाषा
मन के हरे हार है
मन के जीते जीत मन की बातें,
दिल क्यों सुनता चल मन बूझे,
एक पहेली