लड़की हूँ , लड़ सकती हूँ
लड़की हूँ , लड़ सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
चीर कर तम का सीना
रोशन आसमां कर सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
अपनी कोशिशों के समंदर से
रोशन आशियाँ कर सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
क्यूं कर रौंद दे, मेरे सपनों को कोई
अपने संकल्प के दम से
आसमां छू सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
क्यूं कर कोई, मेरी अस्मत से खेले
मर्दानी हूँ, स्वयं को झांसी कर सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
बहती हुई, कल – कल करती सलिला हूँ
क्रोधित हो जाऊँ तो, सब कुछ
तहस – नहस कर सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
बोती हूँ बीज संस्कार के
जब मैं एक माँ होती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
चीरती हूँ हिमालय का सीना
तब हौसले बुलंद करती हूँ
तब बछेंद्री, सुनीता कहलाती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ
जब उठ खड़ी होती हूँ
तब अहिल्या बाई होलकर कही जाती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
जब देश प्रेम पर
न्योछावर होने की बात आती है
तब इंदिरा बन लहू का कतरा – कतरा
देश पर समर्पित कर देती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
सुरों का संगम हो जाती हूँ तब
लता, आशा, अनुराधा और अलका हो जाती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
जब देश के गौरव की बात आती है
तब “कल्पना ” के नाम से जानी जाती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
देश की सेवा कर
देश का गौरव हो जाती हूँ
संस्कृति के प्रचार का
सर्वश्रेष्ठ माध्यम कही जाती हूँ
प्रथम शिक्षक बन
आने वाली पीढ़ी को
सुसंस्कृत व शिक्षित करती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
