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Parmanand Nishad Sachin

Abstract

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Parmanand Nishad Sachin

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क्या क्या समझ बैठे

क्या क्या समझ बैठे

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हमने कुछ जानकारी चाही,

वो इसे परमानंद की जिद समझ बैठे,


मैने कुछ चंद लाइन लिखे,

वो इसे राधा का गीत समझ बैठे,


हमने तो कुछ याद करने का तरीका बदला,

वो इसे अहित (हानि) समझ बैठे,


हमने तो उन्हें हराने के फायदे बताये,

वो इसे अपनी जीत समझ बैठे,


हमने तो उनको अपना दोस्त समझा,

वो इसे ना मीत(मिलना) समझ बैठे,


हमने तो कुछ चंद लाइन लिखी,

वो इसे राधिका का गीत समझ बैठे।


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