मेरी मजबूरियों को।
मेरी मजबूरियों को।
मेरी वफाओं का इस तरह इनाम न दो।
मेरी मजबूरियों को बेवफाई नाम न दो।
इश्क है इबादत औरों की तरह मेरी भी।
जान जाती है प्यार रूठे तो यार मेरी भी।
आपकी सोच को मेरे फैसले का नाम न दो।
मेरी मजबूरियों को बेवफाई नाम न दो।
और भी गम जहां में है जुदाई से बड़े होते हैं।
और भी फर्ज है मेरे मोहब्बत से बड़े होते हैं।
फर्ज को प्यार की कुर्बानियों का जाम न दो ।
मेरी मजबूरियों को बेवफाई नाम न दो।

