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S N Sharma

Abstract Romance

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S N Sharma

Abstract Romance

मेरी मजबूरियों को।

मेरी मजबूरियों को।

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मेरी वफाओं का इस तरह इनाम न दो।

मेरी मजबूरियों को बेवफाई नाम न दो।

इश्क है इबादत औरों की तरह मेरी भी।

जान जाती है प्यार रूठे तो यार मेरी भी।

आपकी सोच को मेरे फैसले का नाम न दो।

मेरी मजबूरियों को बेवफाई नाम न दो।

और भी गम जहां में है जुदाई से बड़े होते हैं।

और भी फर्ज है मेरे मोहब्बत से बड़े होते हैं।

फर्ज को प्यार की कुर्बानियों का जाम न दो ।

मेरी मजबूरियों को बेवफाई नाम न दो।



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