बिन बात
बिन बात
छोटी छोटी बातों में मुझे पड़ना नहीं आता,
तू ये न समझ की मुझे लड़ना नहीं आता !
बेकार है तमाम तालीम उस शख्सियत की,
गमजदा लोगो के चेहरे पढ़ना नहीं आता !
जो पढ़ लिया करते थे कभी नजरें हमारी,
उन्हेंअब दर्द भरी चीखे भी सुनाई नहीं देती !
नफरत वो अपने दिल मे मुझसे करने लगी,
हवा के झोंके से दबे शोले सी सुलगने लगी !
बिना नजरें मिलाये हाथ मिलाना जरूरी न था,
बिन तमन्ना के मिलने की कोई वजह न थी !
लोग न जाने कितनी फिजूल बातें करते रहे,
मेरी जुबां पर सिर्फ तेरा ही नाम आता रहा !
नदी के दो किनारों को मिलते हुए नहीं देखा,
इस घाव को कभी मुकम्मल होते नहीं देखा।