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vartika agrawal

Romance

3  

vartika agrawal

Romance

वो कॉलेज का दिन

वो कॉलेज का दिन

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कॉलेज की वो सुबह 

होंठों पर दोस्तों से श्री ऑरबिंदो घोष  का नाम।


सीढ़ियों से जल्दी चढ़ने की जल्दबाजी,

कि तभी नज़रों का टकराना 

जो था अंजान ।


ना हटा पा रही थी मैं ही कुछ नज़र, 

और वह नज़र पढ़ने लगा बेनाम ।


हल्की सी तैरी उसके आँखों में शरारत,

हल्की सी उड़ती लटें मेरी भी देने लगी कुछ आहट।


बढ़ते कदम थमने लगे थे 

ना जाने कुछ कह रही थी वो मुस्कुराहट ।


चुंबक सी चिपकी नज़रें छूटने लगी, 

कानों में जो गूँजी घंटी जैसे बादल की गड़गड़ाहट।


हाय! कैसे भूलूँ उसका मुड़कर देखना, 

दिल के तारों पर छेड़ती प्रीत राग की चाहत।



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