बाँदा जिले के नाम पर ही ये रहमान बाँदवी हैं कहलाए ,
वालिदैन के साए से बुज़ुर्गो का एहतराम बख़ूबी है सीख पाए।
हैं ये यांत्रिक अभियंता, पेशे से हैं सहायक परियोजना अभियंता,
लेखन एक शौक है इसीलिए शौक से लेखक/कवि भी बनता।
उद्देश्य जो रखते हैं वो है आपस में सभी का इत्तिहाद कराना,
ख़्वाहिश है सभी के... Read more
बाँदा जिले के नाम पर ही ये रहमान बाँदवी हैं कहलाए ,
वालिदैन के साए से बुज़ुर्गो का एहतराम बख़ूबी है सीख पाए।
हैं ये यांत्रिक अभियंता, पेशे से हैं सहायक परियोजना अभियंता,
लेखन एक शौक है इसीलिए शौक से लेखक/कवि भी बनता।
उद्देश्य जो रखते हैं वो है आपस में सभी का इत्तिहाद कराना,
ख़्वाहिश है सभी के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बनाना।
इन्होंने प्रशिक्षक व केंद्र प्रबंधक के रूप में है काम किया,
साथ ही साथ परीक्षक,योजना प्रबंधक का भी है काम किया।
इस तरह दी गयी अपनी ज़िम्मेदारियों को इन्होंने बख़ूबी निभाया,
तभी बेहतरीन काम के लिए सरकारी अफसरों से प्रशस्ति पत्र भी पाया।
इन्होंने अपनी ख़ुद की एक किताब "चल क़लम" को है लिखा,
साथ कई संकलनों को भी है संकलित किया।
इन्होंने कई संकलनों में सह लेखक के रूप में भी भाग लिया,
रहमान बाँदवी ने इस तरह लेखन कार्य को एक नया अंजाम दिया । Read less