हम आंसू से 'प्रीत' लिखेंगे
हम आंसू से 'प्रीत' लिखेंगे
तुमको मैंने मन है हारा
तेरी सुन्दर जीत लिखेंगे।
लेकिन जिस-दिन तुम विछुड़ोगे
हम ऑसू-से-प्रीत लिखेंगे ।।
सब दिन का ना मिलन हमारा
कैसा होगा जीवन-सारा
उलझ-पुलझ कर बहु रस्मों से
सदैव सत्य-प्रेम है हारा
काष्ठ-पिंजरा, 'सोना-पंछी',
'विवश-जिन्दगी', गीत लिखेंगे ।
लेकिन जिस-दिन तुम विछुड़ोगे,
हम 'ऑसू से प्रीत' लिखेंगे।।
तुम अंजाने बन जाओगे
मैं अंजानी बन न सकूंगी
बेपरवाही पर तेरे कुछ
कह न सकूंगी, रह न सकूंगी
'तू डाल-डाल, मैं पात-पात,'
ये बातें हम सह न सकेंगे।
लेकिन जिस-दिन तुम विछुड़ोगे,
हम 'ऑसू से प्रीत' लिखेंगे।।
भागे - फिरते ना तुम रहना
मत कुछ कहना, मत कुछ सुनना
जब भी तेरी राहों-गुजरें
इक निगाह बस मुझको देना
ये न हुआ तो समय-व्यूह में,
एक दिन सदा के लिए हम सोय-रहेंगे।
लेकिन जिस-दिन तुम विछुड़ोगे,
हम 'ऑसू-से-प्रीत' लिखेंगे।।

