प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
लिख रही हूं प्रेम पत्र मैं दिल के जज्बातों से,
तुम्हारे बारे में पूछती हूं दिन और रातों से ,
मैली हो गई चुनरी मेरी बिखर गए हैं बाल,
आके देखो मेरे सावरे तुम बिन क्या है हाल,
आंख के आंसू रुकते नहीं खनकते नहीं मेरे कंगन पायल,
तेरे प्रेम की विरह में बावरी बन मैं तो हो गई घायल ,
ऐसा कोई शब्द नहीं मेरी लेखनी में जो प्रेम प्रकट मेरा कर पाएं ,
तेरा इंतजार कर रही राधा तेरी मेरा कृष्ण कहीं से आ जाए।
मीरा सी बनी मैं तेरी जोगन राधा सी मैंने की तुझसे प्रीत,
बनना चाहूं धुन तेरे बांसुरी की बनकर निकलूँ मैं गीत ,
लिखूं मैं तुम्हें मेरे प्रेम में कृष्ण खुद को लिखूं मैं राधा,
तेरे बिना मैं हंसनी तुमसे ही मैं पुरी तुम बिन हूं मैं आधा ।
प्रेम की विरह में तड़प रही मैं देख रहीं तेरे आने की राह,
एक बार आ जाओ मेरे मुरलीधर मन में हैं तुझे पाने की चाह।

