तन्हाई सी तुम
तन्हाई सी तुम
शोर की इस भीड़ में .. ख़ामोश तन्हाई-सी तुम...
ज़िन्दगी है धूप तो .. मदमस्त पुरवाई-सी तुम ;
आज मैं बारिश में.. जब भीगा .. तो तुम ज़ाहिर हुईं...
जाने कब से रह रही थी .. मुझमें अंगड़ाई-सी तुम ;
चाहे महफ़िल में.. रहूं .. चाहे अकेले में.. रहूं ....
गूंजती रहती हो मुझमें .. शोख शहनाई-सी तुम ;
लाओ वो तस्वीर .. जिसमें .. प्यार से बैठे हैं हम ....
मैं हूं कुछ सहमा हुआ-सा .. और शरमाई-सी तुम ;
मैं अगर मोती नहीं बनता .. तो क्या बनता 'कुमार'...
हो मेरे चारों तरफ .. सागर की गहराई-सी तुम ।