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AVINASH KUMAR

Abstract Romance

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AVINASH KUMAR

Abstract Romance

ज़्यादा कुछ कहना उचित नहीं होगा

ज़्यादा कुछ कहना उचित नहीं होगा

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ज़्यादा कुछ कहना उचित नहीं होगा,
तेरे नाम से बढ़कर कोई श्रुत नहीं होगा।
तू जो है तो हर खामोशी गीत बन जाए,
तेरे बिना तो ये मन भी मीत नहीं हो पाए।

कम शब्दों में भी समुचित नहीं होगा,
तेरे बिना दिल को विश्राम नहीं होगा।
हर धड़कन में तेरा नाम बसता है,
तेरे सिवा कोई और उपयुक्त नहीं लगता है।

तेरे नयन कह जाएँ जो मैं कह नहीं पाया,
तेरी मुस्कान वो जवाब बन जाए।
क्या ज़रूरत है अब शब्दों की,
जब तू ही मेरी हर कविता की पंक्ति बन जाए।


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