STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance

4  

AVINASH KUMAR

Romance

सिर्फ तुम्हारे लिए'

सिर्फ तुम्हारे लिए'

1 min
16


सोचता हूँ तुम्हारी वफ़ा का तुम्हें इनाम दिया जाए, आज भरी महफ़िल में हाथ तुम्हारा थाम लिया जाए!


मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा नाम गुनगुनाना, चाहता हूँ तुम्हारे नाम के बाद मेरा नाम लिया जाए!

 ज़िंदगी चाह रही है एक नई शुरुआत करना, कुछ पुराने किस्सों को यहीं तमाम किया जाए!


दिल छू जाता है तुम्हारा बोलते बोलते चुप जाना, अब वक़्त है आँखों को आँखों से पैगाम दिया जाए!

फ़िलहाल तो दूर रहना एक मजबूरी है, आओ मुस्कुरा कर इस ग़म को नाकाम किया जाए!


तुम्हारा आना किसी दुआ के कबूल होने जैसा है, क्यों न रब का शुक्रिया सुबह-ओ-शाम किया जाए!

कोई नहीं जानता कब कहाँ क्या हो जाए, क्यों न तब तक इस रिश्ते का एहतराम किया जाए!


मैंने तुम पर हक़ नहीं तुम्हारा साथ माँगा है, इसीलिए सोचा इश्क़ का इज़हार सरेआम किया जाए!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance