STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance Inspirational

4  

AVINASH KUMAR

Romance Inspirational

असली मुसाफ़िर

असली मुसाफ़िर

1 min
16

हर मोड़ पे इक सबक़ मिला,
 हर ठोकर पे रुख़ बदल गया,
मैं चलता रहा बिना शिक़ायत,
 बस वक़्त के साथ ढल गया।

 जो खो गया, वो मेरा था क्या?
जो बच गया, वो काफी है।
कभी खाली हाथ भी अमीर लगे,
 ये ही तो असल की ज़िंदगी है।

 मोहब्बत हार गई, पर सिखा गई,
कि दिल टूट कर भी धड़कता है।
हर ग़म में इक राहत छुपी होती है,
जो सब्र से ही बरसता है।

 मैं ढूंढ़ता रहा ख़ुद को सायों में,
दूसरों की आँखों में, नामों में,
फिर इक दिन ख़ुदी ने पुकारा —
 “तू ही है अपने पैग़ामों में।”

 अब शिकवा नहीं, ना कोई मलाल है,
ज़िंदगी से इक रिश्ता बन गया है।
जो आता है, शुक्रिया कह देता हूँ,
जो जाता है, सबक़ बन जाता है।

 ज़िंदगी कोई मंज़िल नहीं,
ये तो बस इक सफ़र है...
जिसे समझ लिया जिसने,
वही असली मुसाफ़िर है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance