" शोर की इस भीड़ में .. ख़ामोश तन्हाई-सी तुम... ज़िन्दगी है धूप तो .. मदमस्त पुरवाई-सी " शोर की इस भीड़ में .. ख़ामोश तन्हाई-सी तुम... ज़िन्दगी है धूप तो .. मदमस्त ...
विन्ध का कद बौना पड़ा हिम भी सर्द, औंधा पड़ा ! विन्ध का कद बौना पड़ा हिम भी सर्द, औंधा पड़ा !