बेपरवाह अंदाज़ या साज़िश है कोई बेपरवाह अंदाज़ या साज़िश है कोई
दिल की धड़कन भी जैसे गयी हो ठिठक दिल की धड़कन भी जैसे गयी हो ठिठक
किसी अजनबी को देख, क्यों ठिठक जाता है। किसी अजनबी को देख, क्यों ठिठक जाता है।
विन्ध का कद बौना पड़ा हिम भी सर्द, औंधा पड़ा ! विन्ध का कद बौना पड़ा हिम भी सर्द, औंधा पड़ा !
घबरा कर मेरा, 'आज', ठिठक कर रह गया है। लगता है वजूद मेरा, बस कागज़ों पर रह गया है घबरा कर मेरा, 'आज', ठिठक कर रह गया है। लगता है वजूद मेरा, बस कागज़ों पर रह गया...
सिकुड़ से गए सफ्हे वो किताब के, साथ बैठ पलटा करते थे कभी... उम्र यूं ही गुजर रही है बेवजह, जिंद... सिकुड़ से गए सफ्हे वो किताब के, साथ बैठ पलटा करते थे कभी... उम्र यूं ही गुजर...